लगभग 80 वर्ष पूर्व ज्वालापुर (हरिद्वार) में निवास करने वाले प्रद्वितीय धर्मपरायण जैन परिवार में नगर के वक्ष पर एक अद्भुत आकृति को आकार प्रदान किया। जिसने नगर का गौरव व मान वर्द्धन किया। यह आकृति थी श्री चन्द्रप्रभू दिगम्बर जैन मंदिर और उस पीढ़ी के आकार प्रदत्ता रत्न थे सर्व श्री मुरारीलाल जैन, श्री बाबूराम जैन एवं श्री सीताराम जैन।
इस मंदिर के प्रणेता थे सुप्रसिद्ध जैन विद्वान ब्रहमचारी श्री शीतल प्रसाद जी। तब से लेकर आज तक निरन्तर इस गगनचुंबी शिखर बंद जिनालय में विराजमान मूलनायक तीर्थकर चन्द्रप्रम भगवान की मनोज्ञ प्रतिमा के दर्शनों से भक्तगण धर्म व संस्कृति के संरक्षण व अनुसरण की ऊर्जा प्राप्त कर रहे हैं।